ज्वालामुखी क्या है और ये कितने प्रकार के होते है - जाने हिंदी मै

ज्वालामुखी किसे कहते है(Volcano information in hindi)

भूपटल को फोड़कर धुओँ, राख, वाष्प एवं गैसों के बाहर निकलने की क्रिया को ज्वालामुखी कहते हैं. ज्वालामुखी एक शंक्वाकार पर्वत है जिसमें भूगर्भ से नली द्वारा उष्ण, वाष्प, गैसे, लावा तथा अन्य चट्टानी पदार्थों का प्रवाह धरातल पर होता है ज्वालामुखी का तात्पर्य केवल उस छिद्र या दरार से है जिसके द्वारा भूगर्भ से लावा, गैसें, वाष्प एवं राख आदि पदार्थ समय-समय पर बाहर निकलते रहते है।ज्वालामुखी उदगार की नली को ज्वालामुखी नली(Volcano pipe) और छिद्र या मुख को ज्वालामुखी या क्रेटर कहते है

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ज्वालामुखी(Volcano)

ज्वालामुखी क्रिया के निम्नलिखित प्रमुख कारक हैं
1. भूतापीय एवं रासायनिक प्रतिक्रियाओं एव विघटनात्मकता के कारण पृथ्वी के ग्रभ में की उत्पत्ति होती है जिससे भूगर्भ के पदार्थं का आयतन बढ जाता है और बाहर निकलने को सतत प्रयत्नशील रहते है

2.भूगर्भ की गैसे तीव्र ताप के कारण तरल हो जाती हैं. तरल होने के साथ ही उनका आयतन बढ़ जाता है और वे बाहरनिकलने का प्रयास करती है जिसके परिणान स्वरूप ज्यालामुखी उत्पन्न हो जाता है।

3.पृथ्वी के आन्तरिक भाग में मौजूद गैसें तरल, लावा पूृथ्वी की हलचल और मेग्मा पर गैसौं एवं वाष्प का दबाव पड़ने से फेलती हैं और लावा को ऊपर फैंकती हैं जो उदगार के साथ जल वाष्प और राख के साथ निकलता है.

4.भूमिगत जल से वाष्य बनती है जिससे गैसे फैलती हैं गैसों के कारण ज्वालामुखी का उदभेदन होता है. उपर्युक्त सभी कारणों से लावा वाष्प तथा गैस पृथ्वी की वलन, भ्रशन और अन्य हलचलों से पपड़ी जहाँ भी कमजोर होती है, वहाँ से मेग्मा तोडकर बाहर निकलने का प्रयास करता है पपड़ी को तोडकर बाहर निकलना ही ज्वालामुखी उदभेदन होता है

उद्भेदन के प्रकार

ज्वालामुखी उद्भेदन के तीन प्रकार होते हैं-
1.विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उदभेदन(Explosive or Central Erruption)

2.अपस्थायी या शान्त उदभेदन(Fissure Erruption)

3.दरारी उदभेदन (Effusive Eruption)

1. विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उदभेदन-
ज्वालामुखी उदगार भारी धड़ाके के साथ जब केन्द्रीय मुख से उद्भेदित होता है। तो उसे विस्फोटक अथवा केन्द्रीय उदभेदन कहते हैं. इस प्रकार के उद्भेदन से भयानक भूकम्प आते हैं. सिसली का एटना जापान का फ्यूजीयामा तथा इटली का विसवियस विस्फोट उदभेदन के उत्तम उदाहरण है. 1883 में क्राकाटाओं द्वीप इस प्रकार के उद्भेदन से पूर्णतः उड़ गए है

2.अपस्थायी या शान्त उद्भेदन-
भूगर्भिक हलचलों से भूपपर्टी की शैलों में दरारें पड़ जाती हैं. इन्हीं दरारों से जब लावा बाहर निकलकर धरातल पर प्रवाहित होने लगता है तो ऐसे उदभेदन को अपस्थायी या विदरी या शान्त उदभेदन कहते हैं. दक्षिण भारत का लावा प्रदेश, संयुक्त राज्य अमरीका का स्नेक नदी का प्रदेश ऐसे ही उदभेदन से बने है.

3.निस्तृत या दरारी उदभेदन-
यह उदभेदन पृथ्वी के ठण्डे होने की द्वितीय दशा से सम्बन्धित है. जब पृथ्वी की पपड़ी इतनी मोटी हो गयी कि मेग्मा किसी स्थान पर पपड़ी को तोड़कर नहीं निकल सकता था तो यह उद्गार कतिपय निर्बल तथा दरार वाले क्षेत्रों में होता रहा. इन उदभेदन में भीषणता नहीं थी अतः इन्हें शांत उदभेदन भी कहते है समोआ हवाई तथा आइसलैंड के ज्वालामुखी इन वर्ग के है।


ज्वालामुखी उद्भेदन के अन्य प्रकार

1.हवाई 2.विसूवियस 3.पीलियन 4. स्ट्राम्बोली 5. वाल्केनो.

1.हवाई प्रकार के ज्वालामुखी-
उद्भभेदन बिना किसी विस्फोट के शान्तिपूर्वक होता है. इसमें लावा पतला एवं तरल होता है जो विस्तृत क्षेत्र में फैल जाता है. लावा बिन्दुओं से निर्मित लाल धागों के रूप में पतले लावा पिण्डों को वायु उड़ा ले जाती है। और वहाँ के निवासी इसे पीली देवी के सिर के बालों की उपमा देते हैं. इन ज्वालामुखियों में गैस कम मात्रा में शनैः शनैः निकलती है. हवाई द्वीप के प्रमुख ज्वालामुखी मोनालोआ और कलुआ से लावा की जो फुहार निकलती है अतः इन्हें हवाई प्रकार के ज्वालामुखी कहते हैं.

2. विसूवियस प्रकार के ज्वालामुखी-
इनका उद्गगार भयानक विस्फोट के साथ होता है, इनमें लावा के साथ गैसों का सम्मिश्रण अधिक होता है और आकृति । गोभी के फूल के समान हो जाती है. विसुवियस का प्रमुख उदाहरण माउण्ट सोमा का ज्यालामुखी है इनमें अतिविस्फोटीय उदभेदनों को लिनियन तुल्य उद्भेदन भी कहते हैं।

3.पीलियन प्रकार के ज्वालामुखी-
विश्व में सर्वाधिक शक्तिशाली विस्फोट ऐसे ही ज्वालामुखी उदगार से होता है मेग्मा बड़ा गाढा और अति लसदार होता है जो डाट के रूप में जम जाता है, मेग्मा बडे दाब से ऊपर उठता है तो इस डाट को बड़े भयंकर ढंग से फोड देता है 1902 में सेन्ट पियरे नामक नगर ऐसे ही विस्फोट से बर्बाद हो गया था. पश्चिमी द्वीप में माउण्ट पीली और फिलीपाइन्स के हिबक-हिबक ऐसे ही ज्वालामुखी हैं.

4.स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी-
इस ज्वाला- मुखी में उद्भभेदन समय-समय पर होता रहता है, इसमें लावा कम तरल होता है। और लावा के कण हवा में उड़कर बम तथा विखण्डित पदार्थ बन जाते हैं. भूमध्य सागर में सिसली द्वीप के उत्तर में स्थिर लिपारी द्वीप के स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी उद्भभेदन से निरन्तर लावा और गैस निकलते रहने के कारण इसे भूमध्य सागर का प्रकाश गृह कहते हैं.

5.वाल्केनो प्रकार के ज्वालामुखी-
इसमें बहुत लसदार लावा बाहर निकलता है और उद्भभेदनों के मध्य लावा के थक्के (Clots) बन जाते हैं. इस प्रकार के उद्भभेदन में शैल पिण्डों की ढेरी बाहर फेंकी जाती है स्ट्रोम्बोली जैसी प्रकाश पुंज प्रज्वलित नहीं होती.ये भी गोभी के फूल जैसी आकृति ग्रहण करते हैं

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