स्थलमण्डल व चट्टानें
कठोर भू-पर्पटी (Crust) जो पृथ्वी के आन्तरिक गुरुमण्डल (Barysphere) को ढके है, स्थलमण्डल कहलाता है. भूमण्डल पर यह एक ऐसी पतली परत के रूप में है जिसमें सियाल (Sial) और सीमा (Sima) दोनों सम्मिलित हैं. इस परत के नीचे अवसादों का एक आवरण पाया जाता है. प्रो. स्वेस (Suess) के अनुसार पृथ्वी के भीतर चट्टानों की तीन परते हैं. ऊपरी परत को सियाल कहते हैं। जिसमें सिलिका (Silica) और एल्यूमिनियम (Aluminium) की प्रधानता होती है इस परंत का घनत्व 2-75 से 2.9 के मध्य है दूसरी परत सीमा (Sima) कहलाती है।
जिसमें सिलिका और मैग्नीशियम (Magne-sium) की प्रधानता होती है इस परत का घनत्व 2-9 से 4-75 के मध्य रहता है पृथ्वी का केन्द्रीय भाग (Core) निफे (Nife) कहलाता है जो निकिल (Nickle) और लोहा (Ferrous) का बना हुआ है. इसकी शैलों का घनत्व 8 से 11 रहता है. इसमें लोहा व निकिल की प्रधानता होती है. इन्हीं परतों को स्वेस ने स्थल मण्डल, उत्ताप मण्डल (Pyrosphere) और गुरु या केन्द्र मण्डल (Barysphere) कहा है जिनमें शैलों । का घनत्व 2-7, 3-5 और 8 से 11 है.
चट्टान व उनके प्रकार
पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले सभी पदार्थ चट्टान या शैल (Rock) कहलाते हैं
चट्टान तीन प्रकार की होती हैं-
(i) आग्नेय चट्टान (Igneous Rock)
(ii) परतदार या अवसादी चट्टान (Sedi-mentary Rock)
(iii) परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान (Metamorphic Rock)
आग्नेय चट्टान (Igneous Rock)
पृथ्वी के आन्तरिक भाग के पिघले पदार्थ मैग्मा (Magma) के ठोस होने से बनी हैं. ये चट्टानें रवेदार होती हैं. अगर मैग्मा पृथ्वी के भीतरी भाग में ठण्डा होकर जम जाता है तो इस प्रकार की चट्टान को पातालीय आग्नेय चट्टान (Plutonic Igneous Rock) कहते हैं. अगर मध्य भाग में जमता है तो मध्यवर्तीय आग्नेय चट्टान (Interme- diate Igneous Rock) कहते हैं और पृथ्वी की बाह्य सतह पर जमता है तो ऐसी चट्टानों को बाह्य आग्नेय चट्टान या ज्वालामुखी (Extrusive Igneous Rock or Volcanoic Rock) कहते हैं.
रासायनिक संरचना की दृष्टि से आग्नेय चट्टानों को सिलिका के मिश्रण के आधार पर 4 भागों में विभाजित किया गया है, जिन आग्नेय चट्टानों में सिलिका का अंश 65% से अधिक होता है तो उन्हें अम्ल चट्टानें (Acidic Rock) 55% से 65% तक सिलिका अंश की चट्टानें मध्यम चट्टानें (In-termediate Rock) 45% से 55% सिलिका अंश की चट्टानें बेसिक चट्टानें (Basic Rocks) और 45% से कम सिलिका अंश की -चट्टानों को अल्ट्राबेसिक चट्टानें (Ultra Basic Rocks) कहते हैं. पातालीय एवं अन्तर्निर्मित आग्नेय चट्टानों में विभिन्न आकार एवं रूपों में मैग्मा जमने से निर्मित चट्टानों को पृथक्-पृथक् नामों से पुकारा जाता है। पृथ्वी के आन्तरिक भाग में पिघले हुए शैल पदार्थ या मैग्मा कठोर ऊँची दीवार की भाँति या ऊर्ध्वाधर परत में जमता है तो उसे डाइक (Dyke) कहते हैं. जब परतदार चट्टानों के भीतर क्षेतिज रूप में मैग्मा जमी चट्टानों को सिल (Sill) कहते हैं. जब मैग्मा गुम्बद या लेन्स आकार में जमता है तो उसे लैकोलिथ (Laccolith) और मैग्मा का लेन्स या गुम्बद के रूप में परतदार चट्टानों के मध्य ठण्डा होने से निर्मित आग्नेय चट्टानों को लोपोलिथ (Lopolith) और लोपोलिथ का ही विशाल रूप जिसकी ऊपरी सतह असमान होती है. उसे बैथोलिथ (Batholith) की संज्ञा दी जाती है. कभी- कभी ज्वालामुखी उद्गार के समय मैग्मा ज्वालामुखी नलियों में ही ठण्डा होकर जम जाता है, तो उसे ज्वालामुखी ग्रीवा canoic Pipe or Plug) कहते हैं. आग्नेय चट्टानों में ग्रेनाइट (Granite), बैसाल्ट (Ba-salt), ग्रेबो (Grabo), साइनाइट (Synite), प्र रायोलाइट (Rhyolite), पैरोडोटाइट (Perodotile), डायोराइट (Diorite), आदि प्रमुख चट्टानें है, आग्नेय चट्टानों में सोना. चाँदी, लोहा, क्रोमियम, निकिल, प्लेटीनम, मैंगनीज आदि अनेक बहुमूल्य खनिज मिलते है
परतदार या अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock)
यह चट्टानें जल, वायु, हिम आदि द्वारा लाए कणों या अवसादों के जमने से बनी होती है. इनमें रवे नहीं होते, बल्कि अवसादों की परतें स्पष्ट दृष्टिगोचर होती हैं. अतः इन्हें अवसादी या परतदार चट्टानें कहते हैं. परतदार चट्टानें झीलों, सागरों या नदियों में अवसादों के जमा होने से बनती हैं, धरातल पर लगभग 75% अवसादी चट्टानें अपने- अपने अवसादों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं. बालू तथा बजरी के मिश्रण से बनी अवसादी शैलों को बालू प्रधान चट्टानें (Arenaceous Rocks) कहते हैं. ये स्फटिक प्रधान चट्टानें होती है. इसमें बालुआ पत्थर, के कड़ आदि मुख्य है जो चट्टान चीका (चिकनी मिट्टी) की प्रधानता से बनी हैं। उन्हें चीका प्रधान चट्टानें या मृण्यम शैल (Argillaceous Rocks) कहते हैं. बजरी आस्ट्रीला के गोलाकार टुकड़ों से निर्मित ने चट्टानें सपिण्डाश्म(Conglomerate) तथाविभिन्न आकृति के नुकीले कणों से बनी चट्टाने संकोणाश्म (Brecia) कहलाती हैं.
अवसादी चट्टानों का निर्माण जल में घुले रासायनिक पदार्थों से भी होता है. वनस्पति जीव-जन्तु आदि के दब जाने से बनी चट्टानें कार्बनिक चट्टानें (Carbo- naceous Rocks) कहलाती हैं. इन्हीं चट्टानों में अगर कार्बन प्रधान तत्वों का बाहुल्य है। तो उन्हें कार्बन प्रधान चट्टानें (Carbo- naceous Rocks) कहते हैं. जैसे कोयला व तेल शैल चुना तत्वों की प्रधानता है तो चूना प्रधान चट्टानें (Calcareous Rocks) जैसे- खड़िया, सेलखरी व डोलोमाइट अगर चट्टानों में सिलिका की प्रधानता है तो सिलिका प्रधान चट्टानें (Siliceous Rocks) कहलाती परतदार या अवसादी चट्टानें वायु, जल, समुद्र की लहरों और हिमानी द्वारा लाए अवसादों से बनती हैं. अगर वायु द्वारा लाए अवसादों से बनी चट्टानों को वायु द्वारा निर्मित चट्टान (Aeolian Rock) कहते हैं.जल द्वारा लाए अवसादों के जमने से बनी चट्टान को जल निर्मित अवसाद चट्टान (Aqueous Rock) कहते हैं. नदी द्वारा बहाकर लाए अवसादों के जमने से बनी चट्टानें नदीकृत चट्टान (Riverine Rock) कहलाती है समुद्री लहरों द्वारा निर्मित चट्टानों को(Marine Rocks) और झीलों में: अवसादों के जमने से बनी चट्टानों को सरो वरी चट्टानें (ILacustrine Rocks) कहते हैं। अवसादी चट्टानों में बलुआ पत्थर शैल. चिकनी, मिट्टी, चूने का पत्थर खड़िया, डोलोमाइट, कोयला आदि सम्मिलित हैं.
रूपान्तरित या कायान्तरित या परिवर्तित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
आग्नेय और परतदार चट्टानों की बनावट रूप, रंग, आकृति आदि के परिवर्तन से निर्मित होती है. इन चट्टानों के परिवर्तन में ताप, दबाव, घोल आदि के परिवर्तन मुख्य है. इस तरह कायान्तरण पाँच प्रकार के होते हैं-
(i) संस्पर्श कायान्तरण (Contract Metamorphism)
(ii) गतिक कायान्तरण (Dynamic Metamorphism)
(iii) स्थैतिक कायान्तरण (Static Metamorphism)
(iv) जलीय कायान्तरण (Hydro Metamorphism)
(v) उष्ण जलीय कारयान्तरण ( HydrThermal Metamorphism)
संस्पर्श कायान्तरण में ज्वालामुखी क्रिया में लावा के प्रवाह में भूपुष्ठ की भीतरी चट्टाने झुलसकर रूप बदल लेती हैं जैसे चूना पत्थर से संगमरमर और कोयला से कोक बनता है गतिक कायान्तरण में भारी दबाव से उत्पन्न अधिक उष्णता से चट्टानों में परिवर्तन हो जाता है जैसे शैल बदलकर स्फटिक, चीका मिट्टी से शैल और बालुका पत्थर से क्वार्टजाइट और कोयला से ग्रेफाइट बनता है. स्थैतिक, कायान्तरण में भूगर्भ में स्थित शैलों पर ऊपर का भारी दबाव पड़ता है और रूप बदल जाता है. जलीय कायान्तरण में जलीय दबाव से चट्टानों में परिवर्तन आ जाता है उष्ण जलीय कायान्तरण में भूगर्भ की चट्टानों में भाप और गर्म जल के प्रभाव से चट्टानों में परिवर्तन आ जाता है जैसे चूने का पत्थर संगमरमर बन जाता है. क्षेत्र के आधार पर दो प्रकार का कायान्तरण होता है. भूगर्भ के किसी क्षेत्र में पर्वत निर्माणकारी हलचलों से किसी बडे क्षेत्र में ताप और दबाव के कारण अवसादी और आग्नेय चट्टानों में रूप परिवर्तन हो जाता है, इसे प्रादेशिक कायान्तरण (Regional Metamorphism) कहते हैं, जब दबाव ताप आदि के स्पर्श मात्र से चट्टानों के थोडे से क्षेत्र में परिवर्तन होता है तो उसे स्थानीय कायान्तरण कहते है चुने के पत्थर से संगमरमर शैल से स्लेट,बलुआ पत्थर से क्वार्ट्जाइट, बिटू मिन्स कोयले से एन्थ्रेसाइट और बाद में ग्रेफाइट आदि कायान्तरित चट्टानों के रूप हैं.
कठोर भू-पर्पटी (Crust) जो पृथ्वी के आन्तरिक गुरुमण्डल (Barysphere) को ढके है, स्थलमण्डल कहलाता है. भूमण्डल पर यह एक ऐसी पतली परत के रूप में है जिसमें सियाल (Sial) और सीमा (Sima) दोनों सम्मिलित हैं. इस परत के नीचे अवसादों का एक आवरण पाया जाता है. प्रो. स्वेस (Suess) के अनुसार पृथ्वी के भीतर चट्टानों की तीन परते हैं. ऊपरी परत को सियाल कहते हैं। जिसमें सिलिका (Silica) और एल्यूमिनियम (Aluminium) की प्रधानता होती है इस परंत का घनत्व 2-75 से 2.9 के मध्य है दूसरी परत सीमा (Sima) कहलाती है।
जिसमें सिलिका और मैग्नीशियम (Magne-sium) की प्रधानता होती है इस परत का घनत्व 2-9 से 4-75 के मध्य रहता है पृथ्वी का केन्द्रीय भाग (Core) निफे (Nife) कहलाता है जो निकिल (Nickle) और लोहा (Ferrous) का बना हुआ है. इसकी शैलों का घनत्व 8 से 11 रहता है. इसमें लोहा व निकिल की प्रधानता होती है. इन्हीं परतों को स्वेस ने स्थल मण्डल, उत्ताप मण्डल (Pyrosphere) और गुरु या केन्द्र मण्डल (Barysphere) कहा है जिनमें शैलों । का घनत्व 2-7, 3-5 और 8 से 11 है.
चट्टान व उनके प्रकार
पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले सभी पदार्थ चट्टान या शैल (Rock) कहलाते हैं
चट्टान तीन प्रकार की होती हैं-
(i) आग्नेय चट्टान (Igneous Rock)
(ii) परतदार या अवसादी चट्टान (Sedi-mentary Rock)
(iii) परिवर्तित या रूपान्तरित चट्टान (Metamorphic Rock)
आग्नेय चट्टान (Igneous Rock)
पृथ्वी के आन्तरिक भाग के पिघले पदार्थ मैग्मा (Magma) के ठोस होने से बनी हैं. ये चट्टानें रवेदार होती हैं. अगर मैग्मा पृथ्वी के भीतरी भाग में ठण्डा होकर जम जाता है तो इस प्रकार की चट्टान को पातालीय आग्नेय चट्टान (Plutonic Igneous Rock) कहते हैं. अगर मध्य भाग में जमता है तो मध्यवर्तीय आग्नेय चट्टान (Interme- diate Igneous Rock) कहते हैं और पृथ्वी की बाह्य सतह पर जमता है तो ऐसी चट्टानों को बाह्य आग्नेय चट्टान या ज्वालामुखी (Extrusive Igneous Rock or Volcanoic Rock) कहते हैं.
आग्नेय चट्टान (Igneous Rock) |
परतदार या अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock)
यह चट्टानें जल, वायु, हिम आदि द्वारा लाए कणों या अवसादों के जमने से बनी होती है. इनमें रवे नहीं होते, बल्कि अवसादों की परतें स्पष्ट दृष्टिगोचर होती हैं. अतः इन्हें अवसादी या परतदार चट्टानें कहते हैं. परतदार चट्टानें झीलों, सागरों या नदियों में अवसादों के जमा होने से बनती हैं, धरातल पर लगभग 75% अवसादी चट्टानें अपने- अपने अवसादों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं. बालू तथा बजरी के मिश्रण से बनी अवसादी शैलों को बालू प्रधान चट्टानें (Arenaceous Rocks) कहते हैं. ये स्फटिक प्रधान चट्टानें होती है. इसमें बालुआ पत्थर, के कड़ आदि मुख्य है जो चट्टान चीका (चिकनी मिट्टी) की प्रधानता से बनी हैं। उन्हें चीका प्रधान चट्टानें या मृण्यम शैल (Argillaceous Rocks) कहते हैं. बजरी आस्ट्रीला के गोलाकार टुकड़ों से निर्मित ने चट्टानें सपिण्डाश्म(Conglomerate) तथाविभिन्न आकृति के नुकीले कणों से बनी चट्टाने संकोणाश्म (Brecia) कहलाती हैं.
परतदार या अवसादी चट्टान (Sedimentary Rock) |
रूपान्तरित या कायान्तरित या परिवर्तित चट्टानें (Metamorphic Rocks)
आग्नेय और परतदार चट्टानों की बनावट रूप, रंग, आकृति आदि के परिवर्तन से निर्मित होती है. इन चट्टानों के परिवर्तन में ताप, दबाव, घोल आदि के परिवर्तन मुख्य है. इस तरह कायान्तरण पाँच प्रकार के होते हैं-
(i) संस्पर्श कायान्तरण (Contract Metamorphism)
(ii) गतिक कायान्तरण (Dynamic Metamorphism)
(iii) स्थैतिक कायान्तरण (Static Metamorphism)
(iv) जलीय कायान्तरण (Hydro Metamorphism)
(v) उष्ण जलीय कारयान्तरण ( HydrThermal Metamorphism)
रूपान्तरित या कायान्तरित या परिवर्तित चट्टानें (Metamorphic Rocks) |