सौरमण्डल के ग्रह


सौरमण्डल के ग्रह
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Solar System Planets



बुध (Mercury)-यह सूर्य का सबसे निकटतम ग्रह है. इसका व्यास 4878 किमी और सूर्य से दूरी 5-7 करोड़ किमी है. यह 88 दिन में सूर्य की प्रदक्षिणा कर लेता है. बुध अपने दीर्घवृत्तीय कक्ष में 1,76,000 किमी प्रतिघण्टे की गति से घूमता है यह गति इसे सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की पकड़ से सुरक्षित रखती है.बुध पर वायुमण्डल नहीं है। यहाँ दिन अति गर्म तथारातें बर्फीली होती हैं.बुध का एकदिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर अवधि का और इतने ही समय की एक रात होती है. परिमाण में यह पृथ्वी का 18वाँ भाग है तथा इसका गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का 3/8 भाग है. इसका द्रव्यमान पृथ्वी का 5:5% है.
शुक्र (Venus)- बुध के बाद यह सूर्य का निकटतम ग्रह है और लगभग पृथ्वी के बराबर आकार तथा भार का है. इसका व्यास 12,102 किमी और सूर्य से दूरी 10-82 करोड़ किमी है. यह सूर्य की प्रदक्षिणा 225 दिन में पूरी करता है. शुक्र गर्म और तपता हुआ ग्रह है तथा इसके चारों ओर सल्फ्यूरिक एसिड के जमे हुए बादल हैं. खोजों और रडार मैपिंग से इसके बादलों को भेद करने से पता चला है कि शुक्र की सतह चट्टानों और ज्वालामुखियों की है यह पृथ्वी के अति निकट है और
सूर्य व चन्द्रमा को छोड़कर सबसे चमकीला दिखाई पडता है. चन्द्रमा की भाँति इसकी भी कलाएँ हैं. प्रातः पूर्व में और सायं पश्चिम में दिखाई पड़ने के कारण इसे भोर का तारा (Morning Star) और सांझ का तारा (Evening Star) भी कहते हैं. शुक्र के वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड 90 से 95% होती है तथा थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन, जल वाष्प और अन्य तत्व होते है, आकार और द्रव्यमान में पृथ्वी से थोड़ा छोटा होने के कारण कुछ खगोलशास्त्री इसे 'पृथ्वी की बहिन' भी कहते हैं. शुक्र का वायुमण्डलीय दाब पृथ्वी से 100 गुना है,
पृथ्वी (Earth) - पृथ्वी शुक्र व मंगल के मध्य स्थित ग्रंह है यहाँ मध्य तापमान आक्सीजन और प्रचुर मात्रा में जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी सौरमण्डल का अकेला ग्रह है जहाँ जीवन है. इसका व्यास 12,756 किमी और सूर्य से औसत दूरी 14-96 करोड़ किमी है. यह सूर्य की प्रदक्षिणा 365 दिन में पूरी करती है इसके ऊपर वायुमण्डल का आवरण है पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है।
मंगल (Mars) -यह सूर्य से चौथा ग्रह है, वायकिंग की खोज से ज्ञात हुआ है कि यहाँ जीवन की कोई सम्भावना नहीं है, मंगल की बंजर भूमि का रंग गुलाबी है, अतः इसे लाल ग्रह (Red Planet) भी कहते हैं. यहाँ चट्टानें व शिलाखण्ड हैं. यहाँ का वायुमण्डल अत्यन्त विरल है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड पायी जाती है एवं कुछ मात्रा में जलवाष्प अमोनिया एवं मीथेन भी है. मंगल ग्रह में पृथ्वी के समान दो धुुव (Poles) है तथा इसका कक्षा तल पृथ्वी से 25° के कोण पर झुका है जिससे यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है. मंगल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया (Nix Olympia) है जो एवरेस्ट से तीन गुना ऊँचा है. मंगल के दो उपग्रह हैं जिनके नाम फोबोस तथा डीमोस हैं.
बृहस्पति (Jupiter)-यह सूर्य से पाँचवाँ ग्रह है और सौरमण्डल के ग्रहों में सबसे । बड़ा है. इसका व्यास 1,38,081 किमी और - सूर्य से औसत दूरी 77:83 करोड़ किमी है, यह सूर्य की प्रदक्षिणा में 11-9 वर्ष लगाता है. बृहस्पति का द्रव्यमान सौरमण्डल के सभी ग्रहों का 71% एवं आयतन डेढ़ गुना है इस ग्रह के वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन, अमोनिया आदि गैसे हैं. पायनियर अन्तरिक्ष अभियान द्वारा चित्रों में बृहस्पति के महान लाल धब्बों की खोज की वायजर-1 के बाद में दिखलाया कि वास्तव में ये महान लाल धब्बा अशान्त बादलों के घेरे में विशाल चक्रवात हैं. यहाँ धूल भरेवलय और ज्वालामुखी भी हैं. बृहस्पति सूर्यसे जितनी ऊर्जा अवशोषित करता है, उससेअधिक विकिरण द्वारा उत्सर्जित करता है.इसका विकिरण ऊष्माहीन विद्युत चुम्बकीय है बृहस्पति का भीतरी तापमान 25,000° से.
तक होता है. इसके 63 उपग्रह हैं जिनमें गैनिमीड सबसे बड़ा बड़ा है. अन्य उपग्रहों में आयो यूरोपा, कैलिस्टो, आलमथिआ, आदि हैं. बृहस्पति के चौदहवें उपग्रह की खोज 1917 ई.में हुई थी. बृहस्पति अन्य ग्रहों कीभाँति ठोस चट्टानों का न होकर हल्केपदार्थों से निर्मित है. यहाँ के वायुमण्डल कादाब पृथ्वी की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक है. इसका वायुमण्डल अत्यन्त ठण्डारहता है. इसमें जहरीली गैस व अमोनियारवायुक्त बादल है, जिस कारण से सफेद धारियाँ दृष्टिगत होती हैं.
शनि (Saturn) - सूर्य से छठा ग्रह शनि आकार में सौरमण्डल का दूसरा बड़ा ग्रह है. इसका व्यास 1.20.500 किमी है और यह सूर्य से 142-7 करोड़ किमी दूर है यह सूर्य की परिक्रमा 30 वर्ष में पूरी करता है. शनि की यह सबसे बडी विशेषता है कि इसके चतुर्दिक वलय है जो अनन्त छोटे-छोटे कणों से बने हैं. आकाश में यह ग्रह पीले तारे के समान दृष्टिगत होता है. बृहस्पति के समान शनि पर भी मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम गैसें पायी जाती हैं। और कुछ मात्रा में मीथेन और अमोनिया भी विद्यमान हैं. वायजर- 1 से ज्ञात हुआ है कि शनि ग्रह के वलय हजारों सर्पीली तरंगों की पट्टी हैं जिनकी मोटाई 100 फीट है. इसके चन्द्रमा टिटॉन पर नाइट्रोजनीय वातावरण और हाइड्रोकार्बन मिले हैं. इन दोनों की उपस्थिति से जीवन का लक्षण पता चला है, लेकिन यहाँ पर जीवन का अस्तित्व नहीं है. शनि के 60 उपग्रह अभी तक ज्ञात हैं. इसका सबसे बड़ा उपग्रह 'टिटॉन' है जो बुध ग्रह के बराबर है. अन्य उपग्रहों में मीमास, एनसीलाडु, टेथिस, डीऑन. रीया. हाइपेरियन, इयापेटस और फोबे उल्लेखनीय हैं. फोबे शनि की कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है. शनि की मुख्य विशेषता यह है कि इसके विषुवतीय प्रदेश के चारों ओर गैस हिमकण और छोटे-छोटे ठोस चट्टानों के मलवे का घेरा है इन छल्लों की मोटाई 1৪ किमी तथा घूमने की गति 16 से 24 किमी प्रति घण्टा है शनि अन्तिम ग्रह है जिसे आँखों से देखा जा सकता है, सूर्य के प्रकाश काकेवल 1/100वाँ भाग ही इस ग्रह पर पड़ता है शनि के गुरुत्वाकर्षण से निकलने के लिये 32 किमी प्रति सेकंड की गति आवश्यक है
अरुण (Uranus)- यह सूर्य से सातवाँ और आकार में तृतीय ग्रह है, इस ग्रह की खोज 1781 ई. में सर विलियम हारशल ने की. दूरदर्शी से देखने पर यह हरे रंग का दृष्टिगत होता है. इसकी सूर्य से दूरी 287 करोड़ किमी और व्यास 51,400 किमी है. यह ग्रह सूर्य की प्रदक्षिणा में 84 वर्ष का समय लगाता है, अरुण एकमात्र ऐसा ग्रह है। जो एक धुरुव से दूसरे ध्रुव तक अपनी प्रदक्षिणा कक्ष में सूर्य के सामने रहता है. वायजर - 2 ने 9 गहरी कसी हुई वलय औरकार्कस्कू के आकार का 100 लाख वर्ग किमी से बड़ा चुम्बकीय क्षेत्र खोजा है इस ग्रह का वायुमण्डल घना है जिसमें हाइड्रोजन,
हीलियम, मीथेन और अमोनिया गैसें व्याप्त है अरुण के चतुर्दिक 5 वलय हैं जिनके नाम हैं-अल्फा, बीटा गामा, डेल्टा और इप- सिलॉन इस ग्रह के 27 उपग्रह हैं जिनमें एरियल, अम्ब्रियल,टिटेनिया, ओबेरॉन मिराण्डा आदि प्रमुख है.
वरुण (Neptune)यह सूर्य से ४वीँग्रह है, जिसकी खोज 846 ई. में जर्मन खगोलज्ञ जोहान गाले ने अरुण की कक्षा में विसंगति के फलस्वरूप की इसका व्यास 48.,600 किमी है और यह सूर्य से 4970 करोड़ किमी दूर है. यह सूर्य की प्रदक्षिणा 164-8 वर्षों में पूरी करता है और अपनी धुरी पर 16 घण्टे में पूरा चक्कर लगाता है यह ग्रह हल्का पीला दिखाई देता है. वायजर 2 ने वरुण के निकट पहुँचकर कई नवीन जानकारियाँ दी हैं. इसने वरुण के चारों ओर 5 वलय होने का पता लगाया है 3
वलय हल्के हैं. चौथा बाहरी वलय बर्फ चन्द्रिकाओं से भरा है और 5वाँ आन्तरिक वलय पतला और सख्त है इसके 13 उपग्रह बताए जाते हैं पहला उपग्रह ट्राइटन है, जो आकार में पृथ्वी के चन्द्रमा से बड़ा और वरुण की सतह से अधिक निकट है दूसरा उपग्रह मेरीड है अन्य उपग्रहों को अस्थायी नाम N-1, N-2, N-3, N-4, N-5, औऱ N-6 दिए गए हैं वरुण प्रतिकूल दिशा में घूमता है।
नवाँ ग्रह-1987 ई. में संयुक्त राज्य अमरीका की नासा अनुसंधानशाला ने सौरमण्डल के 9वें ग्रह की खोज की है. यह ग्रह पृथ्वी से 5 गुना भारी है और सूर्य की प्रदक्षिणा 700 वर्ष में पूरा करता है. इस ग्रह को कारला नाम दिया गया है सेरेस, शेरान एवं 2003 यू वी. 313 अर्थात् जेना क्रमशः 10, I।, 12 ग्रह होंगे.
उपग्रह ( Satellite) - ये आकाशीय पिण्ड हैं जो अपने- अपने ग्रहों की परिक्रमाकरते हैं. ये अपने ग्रह के साथ-साथ सूर्य कीभी प्रदक्षिणा करते हैं ग्रहों की भाँति इनमें भी अपनी चमक नहीं होती है. बल्कि सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं, बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है ग्रहों के समान उप-ग्रहों का पथ भी अण्डाकार होता है उपर्रह ग्रहों की अपेक्षा छोटे होते हैं. अधिकांश उप-ग्रह उसी दिशा में ग्रहों की परिक्रमा करते हैं।जिस दिशा में ग्रह सूर्य की परिक्रमा करताहै दस उपग्रह ऐसे हैं जिनका मार्ग प्रतिकूल दिशा में है ऐसे उपग्रहों में बृहस्पति के 4. शनि का 1, अरुण के 4 और वरुण का 1 उपग्रह है।
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