सौरमण्डल (Solar System)
सूर्य के परिवार को सौरमण्डल कहते हैं. इसमें सूर्य एक तारा है जो प्रकाश तथा ऊष्मा प्रदान करता है. सूर्य से ही निकले हुए आठ ग्रह है, जिनके नाम-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि. अरुण और वरुण हैं. ये सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग द्वारा चक्कर लगाते है, इन ग्रहों से टूटे हुए पिण्डों को उपग्रह कहते हैं. ये सभी अपने-अपने ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और सूर्य से प्रकाशित होते हैं. सूर्य सौर परिवार का जन्मदाता है, इसका व्यास 13,93,000 किलोमीटर है और पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है. इसका भार 2-19 x 1027 टन है. इसके तल का तापमान 6000° से. है यह पृथ्वी से 14-96 करोड़ किमी दूर है. सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट लगते हैं. सूर्य के काले धब्बे 1500° से. से कम गर्म (ठण्डे) क्षेत्र है, अब इन धब्बों की संख्या बढ़ती जा रही है. सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह बहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है ग्रहो. में सर्वाधिक उपग्रह बृहस्पति के 64 है. बुध सूर्य के सबसे निकट दूरी पर स्थित ग्रह है, वरुण सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है. सूर्य
की परिक्रमा बुध 88 दिन में और वरुण 164-8 वर्ष में पूरी करता है. अपनी धुरी पर घूमने में बृहस्पति 9 घण्टा, 50 मि. और 30 सेकण्ड का समय लगाता है जबकि शुक्र- 243 दिन का समय लेता है. पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व को घूमती हुई 23 घण्टा 56 मिनट और 4 सेकण्ड (24 घण्टे) में एक पूरा चक्कर करती है. इस गति को पृथ्वी का घूर्णन या परिक्रमण (Rotation) कहते हैं. घूर्णन के साथ-साथ पृथ्वी अपने अण्डाकार मार्ग पर सूर्य का एक चक्कर (Revolution) 365-26 दिन में पूरा करती है. इस गति का परिभ्रमण कहते हैं. पृथ्वी की परिक्रमण गति से दिन व रात तथा परिभ्रमण गति से ऋतु परिवर्तन होता है।
उपग्रह (Satellite) -छोटा खगोल पिण्ड है, जो अपने ग्रह का परिभ्रमण करता है. पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा है. इसी प्रकार अन्य ग्रहों के भी उपग्रह हैं. मंगल के 2. बृहस्पति के 64, शनि के 61, अरुण के 27 और वरुण के 13 उपग्रह है. बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नही है. चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है अतः वहाँ जीवन भी नहीं है. चन्द्रमा पृथ्वी से 3,84,000 किमी दूर है। और सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है. यहाँ दिन का तापमान 100° से और रात्रि का ताषमान -180° से पाया जाता है, चन्द्रमा 27 दिन 7 घण्टे, 43 मिनट और 11-47 सेकण्ड में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है. लगभग इतने ही समय में वह अपनी धुरी पर भी एक चक्कर पूरा करता है. फलतः दिन- रात की अवधि 28 दिन और चन्द्रमास की अवधि भी इतनी ही है. मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य लम्बे
भाग में 2000 से अधिक छोटे-छोटे उपग्रह जैसे आकाशीय पिण्ड हैं. इन्हें अवान्तर ग्रह (Asteroids) कहते हैं. 1801 में एक बहुत छोटा ग्रह दिखाई पड़ा था जिसका नाम सिरिस (Ceres) रखा गया था. पलास, जूनो, वेस्टा आदि अनेक अवान्तर ग्रहों के ही नाम है आकाश गंगा असंख्य तारों का विशाल पुंज है जिनमें अधिकांश तारे आँखों द्वारा दिखाई नहीं पडते हैं. रात्रि को स्वच्छ आकाश में एक चमकदार मेहराव (Arch ) दिखाई पडती है. भारत में इसे आकाश गंगा, यूरोप में मिल्की वे (Milky way) और यूनानी भाषा में गैलेक्सी (Galaxy) कहते हैं. आकाश गंगा में सूर्य से बड़े 68% तारे इसी प्रकार के हैं
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते समय अनेक नक्षत्र-समूह (तारा समूह) होकर गुजरती है. इनके आकार विभिन्न हैं. मनुष्य ने अपनी कल्पना के अनुसार विभिन्न नाम रखे हैं. मछली व बिच्छू के समान दिखने वाले नक्षत्र समूहों को क्रमशः 'मीन' व वृश्चिक' कहते हैं. भारत में इन्हें राशियाँ कहते हैं. इनकी संख्या बारह है जिनके नाम
मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन हैं. ता प्रत्येक राशि को पार करने में पृथ्वी को 1 महीना लगता है. तारा समूह अपना स्थान बदलते रहते हैं. पृथ्वी अपनी कक्ष पर घूमते समय अपनी अक्ष को सदैव धुवतारा (Pole Star) की ओर रखती है (धुरुवतारा सदैव एक ही स्थान पर दिखाई पड़ता है इस तारे के समीप के तारे भी लगभग उसी स्थान पर दिखाई देते हैं. ध्रुव तारे को सप्त ऋषि नक्षत्र समूह (Great Bear) द्वारा सुविधापूर्वक पहचाना जा सकता है. इस नक्षत्र समूह के बीटा व एल्फा तारों को मिलाते हुए खींची जाने वाली रेखा धुव तारे के पास से गुज़रती है
Solar System |
सूर्य के परिवार को सौरमण्डल कहते हैं. इसमें सूर्य एक तारा है जो प्रकाश तथा ऊष्मा प्रदान करता है. सूर्य से ही निकले हुए आठ ग्रह है, जिनके नाम-बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि. अरुण और वरुण हैं. ये सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग द्वारा चक्कर लगाते है, इन ग्रहों से टूटे हुए पिण्डों को उपग्रह कहते हैं. ये सभी अपने-अपने ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और सूर्य से प्रकाशित होते हैं. सूर्य सौर परिवार का जन्मदाता है, इसका व्यास 13,93,000 किलोमीटर है और पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है. इसका भार 2-19 x 1027 टन है. इसके तल का तापमान 6000° से. है यह पृथ्वी से 14-96 करोड़ किमी दूर है. सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट लगते हैं. सूर्य के काले धब्बे 1500° से. से कम गर्म (ठण्डे) क्षेत्र है, अब इन धब्बों की संख्या बढ़ती जा रही है. सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह बहस्पति और सबसे छोटा ग्रह बुध है ग्रहो. में सर्वाधिक उपग्रह बृहस्पति के 64 है. बुध सूर्य के सबसे निकट दूरी पर स्थित ग्रह है, वरुण सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है. सूर्य
की परिक्रमा बुध 88 दिन में और वरुण 164-8 वर्ष में पूरी करता है. अपनी धुरी पर घूमने में बृहस्पति 9 घण्टा, 50 मि. और 30 सेकण्ड का समय लगाता है जबकि शुक्र- 243 दिन का समय लेता है. पृथ्वी अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व को घूमती हुई 23 घण्टा 56 मिनट और 4 सेकण्ड (24 घण्टे) में एक पूरा चक्कर करती है. इस गति को पृथ्वी का घूर्णन या परिक्रमण (Rotation) कहते हैं. घूर्णन के साथ-साथ पृथ्वी अपने अण्डाकार मार्ग पर सूर्य का एक चक्कर (Revolution) 365-26 दिन में पूरा करती है. इस गति का परिभ्रमण कहते हैं. पृथ्वी की परिक्रमण गति से दिन व रात तथा परिभ्रमण गति से ऋतु परिवर्तन होता है।
उपग्रह (Satellite) -छोटा खगोल पिण्ड है, जो अपने ग्रह का परिभ्रमण करता है. पृथ्वी का उपग्रह चन्द्रमा है. इसी प्रकार अन्य ग्रहों के भी उपग्रह हैं. मंगल के 2. बृहस्पति के 64, शनि के 61, अरुण के 27 और वरुण के 13 उपग्रह है. बुध और शुक्र का कोई उपग्रह नही है. चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है अतः वहाँ जीवन भी नहीं है. चन्द्रमा पृथ्वी से 3,84,000 किमी दूर है। और सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है. यहाँ दिन का तापमान 100° से और रात्रि का ताषमान -180° से पाया जाता है, चन्द्रमा 27 दिन 7 घण्टे, 43 मिनट और 11-47 सेकण्ड में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है. लगभग इतने ही समय में वह अपनी धुरी पर भी एक चक्कर पूरा करता है. फलतः दिन- रात की अवधि 28 दिन और चन्द्रमास की अवधि भी इतनी ही है. मंगल और बृहस्पति ग्रह के मध्य लम्बे
भाग में 2000 से अधिक छोटे-छोटे उपग्रह जैसे आकाशीय पिण्ड हैं. इन्हें अवान्तर ग्रह (Asteroids) कहते हैं. 1801 में एक बहुत छोटा ग्रह दिखाई पड़ा था जिसका नाम सिरिस (Ceres) रखा गया था. पलास, जूनो, वेस्टा आदि अनेक अवान्तर ग्रहों के ही नाम है आकाश गंगा असंख्य तारों का विशाल पुंज है जिनमें अधिकांश तारे आँखों द्वारा दिखाई नहीं पडते हैं. रात्रि को स्वच्छ आकाश में एक चमकदार मेहराव (Arch ) दिखाई पडती है. भारत में इसे आकाश गंगा, यूरोप में मिल्की वे (Milky way) और यूनानी भाषा में गैलेक्सी (Galaxy) कहते हैं. आकाश गंगा में सूर्य से बड़े 68% तारे इसी प्रकार के हैं
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते समय अनेक नक्षत्र-समूह (तारा समूह) होकर गुजरती है. इनके आकार विभिन्न हैं. मनुष्य ने अपनी कल्पना के अनुसार विभिन्न नाम रखे हैं. मछली व बिच्छू के समान दिखने वाले नक्षत्र समूहों को क्रमशः 'मीन' व वृश्चिक' कहते हैं. भारत में इन्हें राशियाँ कहते हैं. इनकी संख्या बारह है जिनके नाम
मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन हैं. ता प्रत्येक राशि को पार करने में पृथ्वी को 1 महीना लगता है. तारा समूह अपना स्थान बदलते रहते हैं. पृथ्वी अपनी कक्ष पर घूमते समय अपनी अक्ष को सदैव धुवतारा (Pole Star) की ओर रखती है (धुरुवतारा सदैव एक ही स्थान पर दिखाई पड़ता है इस तारे के समीप के तारे भी लगभग उसी स्थान पर दिखाई देते हैं. ध्रुव तारे को सप्त ऋषि नक्षत्र समूह (Great Bear) द्वारा सुविधापूर्वक पहचाना जा सकता है. इस नक्षत्र समूह के बीटा व एल्फा तारों को मिलाते हुए खींची जाने वाली रेखा धुव तारे के पास से गुज़रती है