भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि
Bhartiya Samvidhan |
- लोकतन्त्र तथा निर्वाचित प्रतिनिधि शासकों की शक्तियो पर अंकुश का अविभाव वैदिक काल (1500- 1000 ई०पू०) से प्रारम्भ हो गया था।:
- रिंग्वेद एवम अर्थवेद में आमसभा तथा समिति का वर्णन मिलता हैं।
- पाणिनी की अष्टध्यायी. कौटिल्य का अर्थशास्त्र एतरेय ब्रा्यण महामारत अशोक कालीन स्तंभो एवं बौद्ध तथा जैन धर्म ग्रन्धों व मनुस्मृति के अध्ययन से ज्ञात होता हैं। कि भारतीय सविंधान का इतिहास वैदिककोत्तर काल में भी विद्यमान था।
- यूनानी विद्वान मेगस्थनीज ने भी निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का उल्लेख किया है।
- लगभग 10वीं सदी मे शुकाचार मे नीति सार नामक ग्रन्थ लिखा जो संक्धिान के रूप में ही दुष्टिगोचर होता हैं। इसके अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार का गठन तथा राजा के अधिकार एवं कर्त्तव्य बताये गये हैं
- 31 दिसम्बर सन् 1600 में लन्दन के कुछ व्यापारियों ने मिलकर एक कम्पनी बनाई जिसका नाम ईस्ट इंडिया कम्पनी रखा।
- ब्रिटेन की साम्राज्ञी (एलिजाबेथ से शाही चार्टर प्राप्त कर तथा भारत के मुगल शासक जहाँगीर की अनुमति से सूरत में प्रथम कम्पनी की नींव डाली गयी।
- औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् मुगल साम्राज्य के कमजोर होते केन्द्रीय शासन के परिणाम स्वरूप कम्पनी एक शक्तिशाली शासक के रूप मे सामने आयी।
- अंग्रेजो द्वारा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को 1757. में प्लासी के युद्ध में पराजित करके अंग्रेजी शासन का श्रीगणेश किया गया
- मुगल बादशाह शाह आलम ने 1765 में कम्पनी को बंगाल बिहार तथा उडीसा का दीवान नियुक्त किया।
- दीवान नियुक्त होते ही कम्पनी को मालगुजारी वसूलने तथा दीवानी न्याय प्रशासन का उत्तरदायित्व भी प्राप्त हो गया
- वित्तीय हेराफेरी तथा अधिकारियों द्वारा अथाह सम्पत्ति अर्जित करने से रोकने के लिए ब्रिटिश शासन ने एक गोपनीय समिति की नियुक्ति की ।
- भारत मे सर्वप्रथम 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा कम्पनी के शासन हेतु एक लिखित संविधान जनता के सम्मुख लाया गया।
- रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल प्रेसीडिन्सी के प्रशासन के लिए एक गवर्नर जनरल नियुक्ति की गयी।
- प्रशासन के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने का कार्य गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद करती थी। गर्वनर जनरल की परिषद में चार सदस्य होते थे।
- कलकत्ता प्रेसीडेन्सी तथा बंगाल बिहार और उड़ीसा के विभिन्न इलाकों के शासन का अधिकार गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद में निहित था।
- रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गयी जिसका न्यायाधीश सर एलिजा एम्पी को बनाया गया।
- सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश तथा तीन अन्य न्यायाधीश होते थे न्यायाधीशा पांच वर्ष की वकालत का अनुभव होना अनिवार्य था।
- रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषो को समाप्त करने के लिए 1781 में एक्ट ऑफ सेटेलमेण्ड पारित किया गया।
- एक्ट ऑफ सेटेलमेण्ट के पश्चात् कम्पनी के कार्यों में सूधार न होने के कारण ब्रिटिश संसद ने सन् 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित किया। पिट्स उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे।
- सन् 1793 के चार्टर के द्वारा कम्पनी के व्यापार को 20 वर्षो के लिए बड़ा दिया गया।
Hi
जवाब देंहटाएं